अध्यापक शिक्षा में अनुसंधान का महत्व : समीक्षात्मक अवलोकन
Abstract
भारतीय परिदृश्य में अनवरत एवं तेजी से प्रगति कर रहे विद्यालयी तंत्र में गुणात्मक सुधार लाने के लिए अध्यापक शिक्षा, एक महत्वपूर्ण एवं जीवंत भूमिका निभा सकती है। विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था की तरह ही वर्तमान में अध्यापक शिक्षा में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। अत: इस संदर्भ में यह अति आवश्यक हो जाता है कि अध्यापक शिक्षा में अनुसंधान आधारित गतिविधियों एवं अनुसंधान को यथोचित स्थान एवं महत्व प्रदान किया जाए ताकि अध्यापक शिक्षा में प्रयुक्त विभिन्न क्रियाएं या प्रयोग एक सामान्य अरुचिकर गतिविधियों में परिवर्तित न हो जाएं या दूसरे शब्दों में अध्यापक शिक्षा से संबंधित गतिविधियां सक्रिय, गतिशील, जीवंत तथा नवाचारी रहे। यह इसलिए भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि अध्यापक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल विद्या लयी तंत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप स्वयं को ही नहीं बदलना है बल्कि उन विद्यालयी बदलावों या सुधारों को एक निधारित दिशा एवं गति प्रदान करना भी हैं| यदि हम वर्तमान में उपलब्ध शोध साहित्य पर नजर दौड़ाएं तो हम इस तथ्य से अवगत हो जाते हैं कि अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान की जड़ें उतनी मजबूत नहीं हैं जितनी कि अन्य अध्ययन क्षेत्रों में। वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में जितने भी अनुसंधान कार्य हो रहे हैं, उनमें से बहुत कम अनुसंधान, अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र से सबंधित हैं। जो कुछ अनुसंधान कार्य, शिक्षा के क्षेत्र में किए भी जाते हैं उनका अध्यापक शिक्षा में प्रयुक्त एवं अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं तथा गतिविधियों से कोई स्पष्ट, निश्चित और व्यवहारिक संबंध नहीं देखा जाता है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह बहुत आवश्यक है कि संस्थागत व्यवस्था तैयार की जाए ताकि अध्यापक शिक्षा के विशेषज्ञों एवं शिक्षकों को इस क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं एवं समस्याओं को सुलझाने के लिए अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान की आवश्यकता इसलिए भी है ताकि अध्यापक शिक्षा से संबधित विभिन्न नीतिगत निर्णय वैज्ञानिक आधार पर लिए जा सकें। मुख्य शब्द :-शक्षा, एक महत्वपूर्ण एवं जीवंत भूमिका, अध्यापक शिक्षा से संबंधित गतिविधियां