शीत युद्ध के बाद का युगः शक्ति के उभर रहे केन्द्र

Authors

  • डाॅ॰ भरत कुमार स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग, लन्ना०मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा

Abstract

शीत युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरा। संसार में उसकी टक्कर का कोई प्रतिद्वन्द्वी शेष नहीं रहा। इसलिए विश्व राजनीति पर उसका वर्चस्व कायम हो गया। संसार की राजनीति को संचालित और नियंत्रित करने में उसकी अहम् भूमिका बन गई। 'वर्चस्व' कोई मूर्त पदार्थ नहीं जिसे देखा जा सके। इसका अनुमान तो इसके प्रभावों से आँका जा सकता है। संक्षेप में, 'वर्चस्व' की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है- "दूसरों के व्यवहार को प्रभावित या नियंत्रित करने की क्षमता जिससे कि हम उनसे अपना मनचाहा काम करा सकें और उनके ऐसे किसी व्यवहार को रोक सकें जिसे हम नापसंद करें।" दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के पतन के साथ ही शीतयुद्ध का अंत हुआ। संयुक्त राज्य अमेरिका अब विश्व की एकमात्र महाशक्ति रह गया है। इससे "दा-ध्रुवीय राजनीति' का अंत हो गया और विश्व 'एक-ध्रुवीय' बन गया। दूसरे शब्दों में, विश्व राजनीति पर अमेरिका का वर्चस्व कायम हो गया।

मुख्य शब्दः- शीतयुद्ध, अमेरिका, वर्चस्व, शक्ति, विश्व, राजनीति महाशक्ति, क्षमता

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Published

2022-06-28

How to Cite

कुमार ड. भ. (2022). शीत युद्ध के बाद का युगः शक्ति के उभर रहे केन्द्र. JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 5(3). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/148

Issue

Section

Research Articles