भारत में स्त्री श्रमिकों का सामाजिक आर्थिक विश्लेषण
Abstract
विकसित और विकासोन्मुख सभी देशों की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में महिलाओं का योगदान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। महिलाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त क्षेत्र ढूंढ निकालने की समस्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हो चुकी है। महिला कामगारों की संख्या संसार के संपूर्ण श्रमिकों की लगभग एक तिहाई है। महिलाओं के योगदान की दर प्रत्येक क्षेत्र और देश में भिन्न है। भारत में महिला श्रमिक ग्रामीण व शहरी दो भागों में बंटी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्रों में महिला कामगारों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सरकारी प्रोत्साहन के कारण शैक्षिक स्तर बढ़ने से विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुई है। महिलाएं घर वा बाहर दोनों स्थानों पर अपने कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दे रही हैं। निश्चित ही आने वाला समय महिलाओं का है।
मुख्य शब्द:- श्रमिक, कारखाना, गरीबी, आजीविका, शोषण