कक्षागत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इंटरनेट का प्रभाव एवं ट्यूशन प्रवृति का अध्ययनः गोरखपुर के निजी विद्यालयों के सन्दर्भ में

Authors

  • डॉ अर्चना मिश्रा एसोसिएट प्रोफेसर, बी एड विभाग, रतन सेन डिग्री कॉलेज, बांसी, सिद्धार्थ नगर

Abstract

आज के समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का हस्तक्षेप हर क्षेत्र में है। शिक्षा इससे अछुता कैसे रह सकता है। आज अविद्यालयीकरण का संकल्पना ने जन्म ले लिया है जो कहता है सीखने के लिए विद्यालय जाना जरूरी नहीं है। इंटरनेट के माध्यम से या दुरस्त शिक्षा के अवधारणा ने कक्षागत शिक्षक-छात्र अंतरक्रिया को कम करने के दिशा में बल दिया है। ऐसे में निजी विद्यालयों में किये गये इस शोध का निष्कर्ष बहत सकारात्मक है तथा यह निजी विद्यालयों में शिक्षा के गुणवत्ता को भी बखुबी दर्शाता है। शोध में प्रयुक्त इन पाँच विद्यालयों के 700 विद्यार्थियों में ट्यूशन प्रवृत्ति के जाँच में 58 फीसदी ने कहा कि विद्यालय में पढ़ाये ज्ञान ही काफी है और अलग से ट्यूशन पढ़ना जरूरी नही है। गूगल आज ज्ञान का बहुत बड़ा स्रोत है और कोई भी इसके इस्तेमाल से बचे नही रहते हैं इसके बाबजूद 40% विद्यार्थी इंटरनेट / गूगल गुरु को जरूरी नहीं मानते हैं यह भी कक्षागत पढ़ाई की गुणवत्ता को बयां करता है। लेकिन 59 परसेंट इसे जरूरी मानते हैं जो इसके व्यापक प्रभाव का बखूबी दर्शाता है। विशिष्ट शब्द विद्यालीकरण गूगल गुरु शिक्षक– छात्र अंतरक्रिया, ट्यूशन प्रवृत्ति

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Published

2022-06-24

How to Cite

मिश्रा ड. अ. . (2022). कक्षागत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इंटरनेट का प्रभाव एवं ट्यूशन प्रवृति का अध्ययनः गोरखपुर के निजी विद्यालयों के सन्दर्भ में. JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 2(2). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/38

Issue

Section

Research Articles