अंतर्राष्ट्रीय संबंध का नारीवादी दृष्टिकोण: समीक्षात्मक अवलोकन
Abstract
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को पारंपरिक रूप से पुरूष प्रधान क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, और इसलिए, अनेक संगठनों जैसे, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को अधिकतर पितृसत्तात्मक प्रणाली के रूप में माना जाता है। चूंकि अंतर्राष्ट्रीय संबंध खतरों और सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए हमेशा ही इसे पितृसत्तात्मक के रूप में माना जाता है। पुरूष और स्त्री के बीच "जैविक भिन्नता" (biological diference) तो जरूर है, पर इस भिन्नता के आधार पर इन्हें पूर्णतया दो विपरीत वर्गों में विभाजित कर देना कहाँ तक उचित है, यह हमेशा एक बहस का मुद्दा रहा है। जैविक भिन्नता" के कारण बहुत से अवैज्ञानिक और असंगत सिद्धांत मौजूद रहे हैं। लिंग भेद तो एक प्राकृतिक चीज है। इसे बदलने के लिए शायद ही कुछ किया जा सकता है, पर 'पितृसत्ता की अवधारणा (Patriarchy) एक सामाजिक-सांस्कृतिक परिकल्पना है। "पितृसत्ता का अर्थ है- एक ऐसी सामाजिक संरचना जिसमें महिलाओं पर पुरूषों का वर्चस्व रहता है और वे उनका उत्पीड़न व शोषण करते हैं।
मुख्य शब्द- नारीवादी, पुरूष, सामाजिक, संरचना, पितृसत्ता, अधिकार, समस्या, लिंगभेद