गाँधी जी की बुनियादी शिक्षा योजना
Abstract
हाथ में लाठी और बदन पर खादी उम्र के 70वें पड़ाव पर भी युवाओं जैसा हौसला ओर उनकी यह जीवन था राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का। युग पुरूष भारत राष्ट्र के पिता महात्मा गाँधी जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द्र गाँधी था उनका व्यक्तित्व और कृतित्व आदर्शवादी रहा है प्रयोजनवादी विचारधारा से उनका आचरण ओत-प्रोत था संसार के अधिकांश लोगों का मानना है कि वह एक महान राजनीतिज्ञ एवं समाज सुधारक थे सामजिक उन्नति हेतु उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है उनका मूल मंत्र था शोषणविहीन समाज की स्थापना करना। इसके लिए सभी का शिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि इसके बिना स्वस्थ समाज की कल्पना करना असम्भव है। गाँधी जी ने जो शिक्षा के उद्देश्यों एवं सिद्धान्तों की व्याख्या की तथा प्रारम्भिक शिक्षा योजना उनके शिक्षा दर्शन का मूर्त रूप है शिक्षा दर्शन उनको एक शिक्षा शास्त्री के रूप में भी समाज के सामने प्रस्तुत करता है उनका शिक्षा के प्रति योगदान अद्वितीय रहा है। उन्होंने भारत में बच्चों को 31 की शिक्षा अर्थात Head, Hand, Heart की शिक्षा दिये जाने की बात कही थी। ताकि शिक्षा उन्हें स्वालम्बी बनाये रखने और देश को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सके। हम बात करेंगें भारत में बुनियादी की शिक्षा की जो महात्मा गाँधी की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं बहुमूल्य देन है, इसे वर्धा योजना, नई तालीम, "बुनियादी तालीम" तथा बेसिक शिक्षा के नामों से भी जाना जाता है।
Key Words: नई तालीम, शैक्षिक प्रक्रिया, बुनियादी शिक्षा