लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का महत्व और पंचायती राज्य के उद्देश्य

Authors

  • डॉ० आदित्य कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर स्वामी विवेकानंद पी० जी० महाविद्यालय पुवायां शाहजहांपुर

Abstract

संभवता पिछली शताब्दी के अनुभव ने यह सिद्ध कर दिया कि पाश्चात्य लोकतंत्र की प्रणाली में राज्य की सत्ता वास्तव में जनता के हाथ में ना होकर सत्तारूढ़ दल के मुट्ठी भर लोगों के हाथ में थी द्य इसलिए भारत में एक ऐसी व्यवस्था का प्रयोग किए जाने का निश्चय किया जिसमें लोकतंत्र का खाली ढिंढोरा हि ना पीटा गयाय बल्कि

जनता के सहयोग और शिक्षा के समावेश को प्रोत्साहन दिया गया । इसमें संदेह नहीं कि भारत का इस दिशा में  अपना अनोखा प्रयास है । और यदि प्रयोग में उसे सफलता मिली तो संसार के लिए भारतीय बहुत महत्वपूर्ण दिन होगीद्य पश्चिमी देशों के बहुत से स्वतंत्र प्रेमी राजनीतिज्ञ इस देश के अनोखे प्रयास को बड़े ध्यान से देख रहे हैंय क्योंकि सारे एशिया और अफ्रीका में जहां एक और अधिनायकवादी प्रवृत्ति ने जोर पकड़ाए वहां इस अपार जनसमूह के देश में उसकी विपरीत दिशा में लोकतांत्रिक परंपराओं को कायम करने की चेष्टा की जा रही है द्य भारत के लिए यह प्रयोग बिल्कुल नया नहीं है । क्योंकि अपने अतीत की परंपराओं में पंचायत समितियों और जनपदों का इस देश में एक जाल समझा थाय जिसके आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक प्रशासन पर उसे नियंत्रण का गौरव प्राप्त था द्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रामराज्य की कल्पना को साकार बनाने का भी यह एक प्रयास है|

Key Words: लोकतंत्र, लोकतांत्रिक, विकेंद्रीकरण पंचायती राज्य

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Published

2022-06-27

How to Cite

कुमार ड. आ. (2022). लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का महत्व और पंचायती राज्य के उद्देश्य. JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 3(2). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/72

Issue

Section

Research Articles