गाजियाबाद की मलिन बस्तियों में जीवन का सामाजिक आर्थिक अध्ययन

Authors

  • डॉ. रचना प्रसाद एसो0 प्रोफसर, समाजशास्त्र विभाग विद्यावती मुकन्दलाल महिला महाविद्यालय, गाजियाबाद (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ)

Abstract

औद्योगीकरण और नगरीकरण के वर्तमान युग में, प्रवासी जनसंख्या का अनुकूलतम बसाव और नगरों का सकारात्मक विकास नितान्त आवश्यक है ताकि नगरीय विकास सुनियोजित हों और जीवन की दशाएँ उत्तम हो। पूरब का मानचेस्टर, भारत का ग्यारहवां बृहत्तम महानगर, उ0प्र0 की वाणिज्यिक राजधानी गाजियाबाद देश के उन चंद औद्योगिक नगरों में गिना जाता है जो गिरते गिरते उठ खड़े होने के हौसले से भरा है, अपने गौरवशाली अतीत को पुनजीर्वित करते हुए वह एक बार फिर जीवन्त नगरों को कोटि में गिना जाता है। नीति निर्धारकों का लक्ष्य था गाजियाबाद में नगरीकरण के बिना औद्योगीकरण करना परन्तु हुआ औद्योगीकरण के बिना नगरीकरण। गाजियाबाद में जनसंख्या वृद्धि जन्म, मृत्यु जैसे जैविक कारकों का प्रतिफल नहीं बल्कि प्रवास जैसी सामाजिक लेन-देन की प्रक्रिया का प्रतिफल है। चतुर्दिक ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त निर्धनता तथा बेरोजगारी के कारण गांव से नगर को प्रवास हुआ परन्तु नगरीय पोषण क्षमता के घट जाने, कार्यावसरों व रोजगार की कमी के कारण ये जनसंख्या का संक्रेन्द्रण अनाधिकृत रूप से मलिन बस्तियों के रूप में हुआ है यह स्तर निश्चित रूप से ग्रामीण जीवन स्तर से निम्न था जिससे नगरीय विकास का नहीं अपितु नगरीय अवनयन या नगरों के ग्रामीणकरण की प्रक्रिया का प्रारम्भ है। गाजियाबाद के प्रत्येक जोन में स्थित मलिन बस्तियों में 103 नमूना प्रति जोन एकत्रित किए गए। प्राथमिक एवं द्धितीयक आंकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि महानगर में आज भी 18 प्रतिशत ऐसे आवास है जो घासफूस, कच्ची ईंटों और गारा से निर्मित है। 40 प्रतिशत आवास एक कमरे वाले हैं और 10 प्रतिशत आवासों में न तो बिजली है, न सुरक्षित पेयजल और न ही शौचालय। गाजियाबाद की 20 प्रतिशत जनसंख्या ऐसी है जो मलिन बस्तियों में निवास करती। मलिन बस्तियों में निवास करने वाली जनसंख्या में 58 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 5 वर्ष – 35 वर्ष के मध्य है। मलिन बस्ती जनसंख्या में सर्वाधिक 39.2 प्रतिशत अनुसूचित जातियां निवास करती है। उल्लेखनीय तथ्य है कि मलिन बस्तियों में निवास करने वाली कुल जनसंख्या में 35.8 प्रतिशत जनसंख्या ही साक्षर है तथा 24 प्रतिशत जनसंख्या बेरोजगार है। 21 प्रतिशत घर ऐसे जिनकी मासिक आय 500 रू0 प्रति माह से कम है। मलिन बस्तियों 51 प्रतिशत घर घासफूस, गारा और कच्ची ईंटों से बने हैं, यहाँ पेयजल की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत सरकारी नल है। 29 प्रतिशत जनसंख्या को सामुदायिक शौचालय की सुविधा मुहैइय्या है नसंख्या आज भी खुले मैदानों का चयन करती है। सीवर सिस्टम के नाम पर खुली हुई नालियां है जो कूड़ा करकट व सफाई के अभाव में जाम हो जाती है। गाजियाबाद महानगरीय नियोजन के लिए आज आवश्यकता कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की है। आवासों का आवंटन रोजगार स्थल से दूरी के आधार पर, बिजली, पेयजल और शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना तथा गुणवत्ता में सुधार, सीवर सिस्टम को सुचारू तथा ठोस कूड़ा करकट का प्रबन्धन करना तथा साथ ही मलिन बस्तियों को अपराधों की शरण स्थली के रूप में विकसित होने से रोकना ताकि नगरीय पर्यावरण हितकारी रहें।

उल्लेखनीय पारिभाषिक शब्दावलीः औद्योगीकरण, नगरीकरण, प्रवास, नगरीय अवनयन। 

Downloads

Published

2022-06-30

How to Cite

प्रसाद ड. र. . (2022). गाजियाबाद की मलिन बस्तियों में जीवन का सामाजिक आर्थिक अध्ययन . JOURNAL OF INDUSTRIAL RELATIONSHIP CORPORATE GOVERNANCE AND MANAGEMENT EXPLORER, 2(2). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JIRCGME/article/view/167

Issue

Section

Articles