गोरखपुर के निजी विद्यालयों में कक्षागत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इंटरनेट का प्रभाव एवं ट्यू'नि प्रवृति का अध्ययन करना
Abstract
आज के समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का हस्तक्षेप हर क्षेत्र में है। शिक्षा इससे अछूता कैसे रह सकता है। आज अविद्यालयीकरण का संकल्पना ने जन्म ले लिया है जो कहता है सीखने के लिए विद्यालय जाना जरूरी नही है। इंटरनेट के माध्यम से या दरस्त शिक्षा के अवधारणा ने कक्षागत शिक्षक-छात्र अंतरक्रिया को कम करने के दिशा में बल दिया है। ऐसे में निजी विद्यालयों में किये गये इस शोध का निश्कर्श बहुत सकारात्मक है तथा यह निजी विद्यालयों में शिक्षा के गुणवत्ता को भी बखुबी दर्शाता है। शोध में प्रयुक्त इन पाँच विद्यालयों के 700 विद्यार्थियों में ट्यूशन प्रवृत्ति के जाँच में 58 फीसदी ने कहा कि विद्यालय में पढ़ाये ज्ञान ही काफी है और अलग से ट्यूशन पढ़ना जरूरी नही है। गुगल आज ज्ञान का बहुत बड़ा स्रोत है और कोई भी इसके इस्तेमाल से बचे नही रहते हैं इसके बावजूद 40 प्रतिशत विद्यार्थी इंटरनेट/गुगल गुरू को जरूरी नही मानते हैं, ये भी कक्षागत पढ़ाई के गुणवत्ता को बयां करता है। लेकिन 59 प्रतिशत इसे जरूरी मानते हैं जो इसके व्यापक प्रभाव को बखुबी दर्शाता है।
विशिष्ट ठाब्द- अविद्यालयीकरण, गूगल गुरु, शिक्षक-छात्र अंतक्रिया, ट्यूशन प्रवृत्ति