ग्रामीण भारत में परंपरागत पैतृक रोजगार की बदलती प्रवृत्तियाँ शहरों की ओर हो रहे पलायन पर एक शोधात्मक अध्ययन

Authors

  • डॉ. दीना नाथ तिवारी एसोसिएट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज गोंडा यू.पी.

Abstract

इस प्रकार के और भी अनेक कार्य हो सकते है। गांवों तथा कस्बों में अजीविका के काफी स्त्रोत है, पर सब जगह परिश्रम, बौद्धिक शारीरिक कुशलता और जोखिम उठाने की आवश्यकता है थोड़ा सा परिश्रम, कुछ धैर्य तथा व्यापारिक बुद्धि का प्रयोग अजीविका एवं रोजगार के नये नये आयाम प्रदान कर सकता है तथा इस प्रकार के लोगों को बैंक तथा सरकार भी सहायता प्रदान करते है। वर्तमान ग्रामीण क्षेत्र में मेहनत की रोटी खाने का भाव रखने वालों के लिए आजीविका के स्त्रोतों तथा रोजगार के अवसरों का कोई अभाव नही है। इस प्रकार भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में परंपरागत पैतृक रोजगार के संरक्षण के साथ आर्थिक लाभ भी अर्जित किया जा सकता है। 

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Published

2022-06-30

How to Cite

तिवारी ड. द. न. (2022). ग्रामीण भारत में परंपरागत पैतृक रोजगार की बदलती प्रवृत्तियाँ शहरों की ओर हो रहे पलायन पर एक शोधात्मक अध्ययन . JOURNAL OF INDUSTRIAL RELATIONSHIP CORPORATE GOVERNANCE AND MANAGEMENT EXPLORER, 2(3). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JIRCGME/article/view/179

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