भारत में सहकारिता कार्यक्रम: उपलब्धियाँ एवं योगदान
Abstract
भारत की आत्मा गांवों में बसती है। महात्मा गांधी का इस कथन की प्रासांगिकता से हमें इससे प्रेरणा मिलती है कि जब भी प्रगति की बात की जाए तो ग्राम विकास, पिछड़ा वर्ग कल्याण को प्राथमिकता से देखना होगा, क्योंकि राष्ट्र की प्रगति गांव की और मुख्यतः आदिवासी, हरिजनों के उत्थान पर अवलम्बित है। ग्रामीण विकास को यदि हम व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह लाखों गांवों में रहने वाले असंख्य दलित, आदिवासी और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के रहन-सहन के स्तर में वृद्धि करने का एक सचेत एवं नियोजित प्रयास है। गांवों का तथा उनमें निवासरत पिछड़े वर्ग के लोगों का सहकारिता के माध्यम से आर्थिक, सामाजिक एवं भौतिक विकास मख्य घटक के रूप में तथा समन्वित प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता है। ग्रामीण समुदाय की परजीविता की धारणा को उत्तरजीविता में बदलकर, ग्राम में उपलब्ध साधनों का ग्राम हित में सहकारिता के माध्यम से उपयोग करने तथा उन्हें उनकी वास्तविक सत्ता उनके हाथों में सौंपकर ही ग्राम विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है|
Keywards: सहकारिता,सहकारिता कार्यक्रम, ग्रामीण आबादी