संस्कृत साहित्य में ऋग्वेद की प्रासंगिकता
Abstract
साहित्य में रूचि रखने मात्र से एक सह्दय व्यक्तित्व का निर्माण हो जाता है। साहित्य केवल मानव जीवन का प्रतिबिंब ही नहीं है, अपितु साहित्य हमारी मानवता की रक्षा करने का एक आधार स्तम्भ है। जीवन का अनुभव साहित्य में अभिव्यक्त होने के कारण ये जीवन की अभिव्यक्ति है। साहित्य व्यक्ति का आत्मसाक्षात्कार है, जिसकी व्यापक परिधि में राष्ट्र का आत्मसाक्षात्कार व आत्माभिव्यंजना आ जाता है। इसी क्रम में संस्कृत साहित्य सद्भाव और प्रेम का । अद्भुत भण्डार है' इसमें मानवजाति से लेकर सम्पूर्ण जगत के सभी प्राणियों के कल्याण की कामना की गई है। मानव जाति आंनद, शांति और सद्भाव से अपना अधिकतम जीवन व्यतीत करें ऐसा परिकल्पना वर्णव्यवस्था और आश्रम व्यवस्था में की गई है।
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Published
2022-07-02
How to Cite
मिश्रा ड. र. . (2022). संस्कृत साहित्य में ऋग्वेद की प्रासंगिकता . JOURNAL OF INDUSTRIAL RELATIONSHIP CORPORATE GOVERNANCE AND MANAGEMENT EXPLORER, 5(1). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JIRCGME/article/view/245
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Articles