औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की आर्थिक दशा एवं दिशा
Abstract
औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों की आर्थिक स्थिति अत्यंत शोचनीय है, क्योंकि आज भी श्रमिको के समूल विकास का क्षेत्र आज भी औद्यागिक विकास के क्रम में अत्यंत पिछड़ा हुआ है। मिलों में कार्यरत श्रमिकों की कुल संख्या कम है तो श्रम संगठनों का जन्म नहीं हो पाता है जिससे ये अपनी मांगों को पूर्ण करने हेतु प्रबन्ध पर कोई दबाब नहीं बना पाते ओर यदि इनकी संख्या ज्यादा होती है तो श्रमिक संघों की राजनीति इनके विकास में बाधक बनी रहती है। अतएव सेवायोजकों या प्रबन्धकों द्वारा उन्हें भयग्रस्त कर दिया जाता है और यह कार्य करने को विवश रहते हैं और प्रबन्धकों द्वारा जो कुछ भी सुविधाएं दी जाती है उसे श्रमिक मान लेते हैं।
मुख्य शब्द- पारिश्रमिक, औद्योगिक, रोजगार, जीवन-स्तर, विलासिता, प्रगतिशील।
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Published
2022-07-02
How to Cite
कुमार गर्ग ड. व. . (2022). औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की आर्थिक दशा एवं दिशा. JOURNAL OF INDUSTRIAL RELATIONSHIP CORPORATE GOVERNANCE AND MANAGEMENT EXPLORER, 5(1). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JIRCGME/article/view/250
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