महिला सशक्तिकरण की चुनौती रू एक समीक्षा ;बौद्धिक विमर्श के परिप्रेक्ष्य मेंद्ध

Authors

  • डॉ० आदित्य कुमार

Abstract

पितृसत्ता एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओ का अनुकरण तार्किकता व वैज्ञानिकता के स्थान पर केवल आस्था और प्रागनुभवो के आधार पर करती हैै। यह सामाजिक,राजनीतिक और नैतिक मान्यताओ का समग्र है जो पुरानी मान्यताओ पर जोर देते हुए नवीन विचारधारा को आजमाऐ बिना पुरानी व्यवस्था को बनाये रखने पर जोर देती हैं।डेविड हयूम और एडमण्ड बर्क रूढिवाद के प्रमुख उन्नायक माने जाते है। समकालीन विचारको में माइकेल ओकशाॅट को रूढिवाद का प्रमुख सिद्वान्तकार माना जाता है। वर्तमान समय में सामाजिक रूढियो  व पितृसत्ता के सन्दर्भ में हमारे युवाओ के विचारो पर यह अध्ययन आधारित हैं। प्रस्तुत विषय पर युवा लोगो के साथ गोरखपुर के  काॅलेज और  विश्वविद्यालय में अध्ययन किया गया है। काॅलेजो के सत्रो में मुख्य रुप से शिक्षको से थोडा समय लेकर युवाओ से लिंग,यौन ,हिेसा और कानून के सन्दर्भ में बुनियादी बातचीत शुरु किया गया।इसके अलावा लिंग, यौन पर अन्तरपीढीगत संवाद करने के लिए छात्रो को अनुसूची साक्षात्कार की सुविधा प्रदान की गई थी।

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Published

2023-08-08

How to Cite

डॉ० आदित्य कुमार. (2023). महिला सशक्तिकरण की चुनौती रू एक समीक्षा ;बौद्धिक विमर्श के परिप्रेक्ष्य मेंद्ध. JOURNAL OF MANAGEMENT, SCIENCES, OPERATION & STRATEGIES, 4(1), 48–54. Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JMSOS/article/view/285

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