ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की सैद्धान्तिक व्याख्या

Authors

  • डॉ. सीमा मलिक

Abstract

इतिहास साक्षी है कि महिला सशक्तिकरण के कारण ही विश्व के विकसित देश विकास के सपने सकार कर पाये है। आज चुनौती इस बात कि है कि हम कैसे मिलजुलकर इन कम पढ़ी-लिखी व घर परिवार के दायरे में सिमटी महिलाओं को आर्थिक रूप से जोड़कर सशक्त बना सकेंगे। इसके लिए स्वयं सहायता समूह जैसे संस्थान सार्थक पहल का माध्यम बन सके। ताकि महिलाएँ इन संस्थाओं की मदद से अपनी छोटी-छोटी बचत से मिलजुलकर अपने हुनर के मुताबिक वस्तुओं व सेवाओं का निर्माण कर सके व उनकी बिक्री से आय अर्जित कर अपने पैरों पर खड़ी हो सके। इसके अतिरिक्त महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के साथ ही निर्णय होने की प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी भी अति आवश्यक है। यहाँ ग्रामीण शिक्षित
महिलाएँ एवं महिला जन प्रतिनिधियों सन्निकट अवस्थिति शहरी, बालिकाएँ, अध्यापिकाओं का भी यह कत्र्तव्य व दायित्व बन जाता है कि वे ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाये ताकि इन ग्रामीण महिलाओं के सर्वांगीण विकास और कल्याण के कार्यक्रमों का पूरी ताकत व इच्छाशक्ति के साथ निर्वहन कर सके। अंततः ग्रामीण आर्थिक महिला एक बेहद अमूल्य संसाधन है और गाँवो में महिलाओं के बीच बढ़ती हुई सशक्तिकरण प्रवृति स्वागत योग्य है।
मुख्य शब्दः ग्रामीण महिला, आर्थिक सशक्तिकरण, सैद्धान्तिक व्याख्या।

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Published

2023-08-08

How to Cite

डॉ. सीमा मलिक. (2023). ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की सैद्धान्तिक व्याख्या . JOURNAL OF MANAGEMENT, SCIENCES, OPERATION & STRATEGIES, 3(3), 102–108. Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JMSOS/article/view/300

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