भारत का आर्थिक उत्थान एवं शिथिलनः एक ऐतिहासिक शोधात्मक अध्ययन
Abstract
भारत में मुगल साम्राज्य के समय यहाँ की धन संपदा से आकर्षित होकर अनेक यूरोपियन व्यापरिक कंपनियो ने यहाँ प्रवेश किया जिनमें पुर्तगाली, डच, डेनिश, फ्रेन्च तथा अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी आदि प्रमुख थी। कालान्तर में इन सभी विदेशी कम्पनियों के संघर्ष का अन्त अंग्रेजो द्वारा भारतीय समुद्री व्यापार पर स्वामित्व हासिल करने और एक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने से हुआ। इस घटना के बाद भारत के साथ ब्रिटेन के आर्थिक सम्बन्धों का एक नया युग प्रारम्भ हुआ जिसमें भारत, औद्योगिक इंग्लैण्ड का एक उपनिवेश बन गया। भारत पर राजनीतिक अधिकार के बाद अंग्रेजों ने भारत को अपना गुलाम देश बना लिया। भारत की सम्पत्ति और संसाधनो को अंग्रेज ब्रिटेन में भेज रहे थे और इसके बदले भारत को पर्याप्त आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा था। यह आर्थिक दोहन ब्रिटिश शासन की खास व्यवस्था थी। दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक ‘‘पावर्टी एण्ड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया‘‘ में ब्रिटिश शासन की आर्थिक कुर्रीतियों का वर्णन किया है। दादा भाई ने धन की निकासी को ‘‘अनिष्टो के अनिष्ट’’ की संज्ञा दी।