डाॅ0 कौशलेन्द्र सिंह
असिस्टेन्ट प्रोफेसर हिन्दी विभाग पटेल श्री टीकाराम पी0जी0 काॅलेज, साईं बगदाद मल्लवाॅ, हरदोई (उ0प्र0)
Abstract
नई कहानी के विकास के साथ-साथ कहानी के आन्दोलन होने लगे। आन्दोलनों के कारण कहानी का एक स्थिर रूप न रह सका। अकहानी, सचेतन कहानी, समान्तर कहानी आदि धाराओं में कहानी विभक्त हो गयी।