ब्राह्मण की उपजाति गयावाल सामाजिक विवेचना

Authors

  • डाॅ. राज रानी श्रीवास्तव सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र विभाग, महेश सिंह यादव काॅलेज, गया, बिहार

Abstract

जाति-व्यवस्था के प्रभुत्व के लिए केवल भारतीय समाज प्रसिद्ध है। यह बात निर्विवाद है कि भारत में जिस प्रकार को जाति व्यवस्था प्राचीन काल से विद्यमान है ठीक वैसी व्यवस्था अन्यत्र नहीं पायी जाती है। यह वह एक अनोखी व्यवस्था है जो कुछ ऐतिहासिक कारणों से केवल भारत में ही विकसित हो सको। भारतीय सामाजिक व्यवस्था का आज भी जाति-व्यवस्था एक मूल आधार है। इसका प्रभुत्व और प्रसार इतना है कि हिन्दुओं के अलावा जो भारतीय मुस्लिम एवं ईसाई धार्मिक समूह हैं, उनमें भी जाति व्यवस्था पायी जाती है। यजुमदार ने इसकी चर्चा इन शब्दों में की है-”जाति-व्यवस्था भारत में अनुपम है। सामान्यतः भारत जातियों एवं सम्प्रदायों की परम्परात्मक स्थलों माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ की हवा में भी जाति घुली हुई है और यहाँ तक कि मुसलमान और ईसाई भी इससे अछूते नहीं बचे है।“

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Published

2024-07-09

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