स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी के असामान्य चरित्रों का मनोवैज्ञानिक अनुशीलन

Authors

  • डाॅ0 कौशलेन्द्र सिंह असिस्टेन्ट प्रोफेसर हिन्दी विभाग पटेल श्री टीकाराम पी0जी0 काॅलेज, साईं बगदाद मल्लवाॅ, हरदोई (उ0प्र0)

Abstract

आधुनिक परिवेश में व्याप्त मानवीय कुण्ठा, संत्रास के संदर्भ में आज के साहित्य में प्रायः सवाल उठाए जाते हैं। हिन्दी-कहानी भी इससे अछूती नहीं है। नारी और पुरुष दोनों ही इस वृत्ति के शिकार हुए हैं। यद्यपि दोनों की समस्याएं और समाधान एकदम एक से नहीं कहे जा सकते, फिर भी वे एक-दूसरे से एकदम असम्बद्ध भी नहीं कहे जा सकते।

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Published

2024-07-09

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Articles