जगदीश चन्द्र के उपन्यास ‘जमीन तो अपनी थी

Authors

  • लक्ष्मी रानी बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुुर

Abstract

‘जमीन अपनी तो थीं ’ उपन्यास त्रयी का अंतिम उपन्यास है। इस उपन्यास में काली का बेटा आई. ए. एस. अधिकारी बन गया लेकिन उसे अपने पिता का जमीन से लगाव बहुत अच्छा नहीं लगता काली व्यक्तिवादी नहीं है। वह जमीन से जुड़कर अपनी बिरादरी का दुख-दर्द दूर करना चाहता है। यह उपन्यास उन सफेदपोश, सुविधा भोगी और आरक्षण का लाभ लेकर ऊँचे ओहदे पर बैठे लोगों पर कटाक्ष करता है, जो यह भूल जाता है कि उनका एक सामाजिक दायित्व भी है। किसी उपन्यास की महत्ता की मुख्य वजह यह होती है कि वह कहा तक सामाजिक विकास के नक्शों में ढ़ालने में कामयाबी पाता हैं। इस अध्ययन का उदेश्य “जमीन तो अपनी थी” उपन्यास मंे दलित चिन्तन के कारण को जानना है।
परिचय

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Published

2024-07-10

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