महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिकाः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
Abstract
एक नारी को शिक्षित करने का अर्थ एक परिवार को शिक्षित करना है। वर्तमान युग को वैचारिकता का युग कहा जा सकता है। अगर स्त्रीया माता अथवा गृहिणी के संस्कार, शिक्षा-दीक्षा आदि उत्तम नहीं होगी तो यह समाज और राष्ट्र को श्रेष्ठ सदस्य कैसे दे सकती है? समाज के लिए स्त्री का स्वस्थ, खुशहाल, शिक्षित, समझदार, व्यवहार कुशल, बुद्धिमान होना जरूरी है और शिक्षा से ही सम्भव है। जब स्त्री की स्वयं की स्थिति सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक आदि दृष्टिकोणों से उन्नत होगी तो वह परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे पायेंगी क्योंकि एकता स्त्रियाँ स्वयं राष्ट्र की आधी से कम जनसंख्या है तथा दूसरा बच्चे, युवा प्रौढ़ और वृद्धजन उन पर अपनी पारिवारिक आवश्यकताओं के लिए निर्भर रहते हैं। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिला द्वारा शक्ति और संसाधनों की प्राप्ति से है जिससे कि वे अपने विषय में महत्वूपर्ण निर्णय स्वयं ले सके एवं दूसरों के द्वारा लिए गए गलत निर्णयों का विरोध कर सके। शिक्षा महिला सशक्तिकरण के लिए प्रथम और मूलभूत साधन है। प्रस्तुत लेख में महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की क्या भूमिका है तथा महिला शिक्षा के मार्ग में जो बाधाएँ है उनको दर्शाने का प्रयत्न किया गया है।
मूलशब्द - सशक्तिकरण, सहसंबंध, प्रजातांत्रिक, मूलमूत, समाज, शिक्षित, संसाधन।