महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिकाः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • साधना कुमारी स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग लाना०मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा

Abstract

क नारी को शिक्षित करने का अर्थ एक परिवाको शिक्षित करना है। वर्तमान युग को वैचारिकता का युग कहा जा कता है। अगस्त्रीया माता अथवा गृहिणी के संस्कार, शिक्षा-दीक्षा आदि उत्तम नहीं होगी तो यसमाज और राष्ट्र को श्रेष्ठ सदस्य कैसे दे सकती है? माज के लिए स्त्री का स्वस्थ, खुशहाल, शिक्षित, समझदार, व्यहार कुशल, बुद्धिमान होना जरूरी है शिक्षा से ही सम्भव है। जब स्त्री की स्वयं की स्थिति सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक आदि दृष्टिकोणों से उन्नत होगी तो वह परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे पायेंगी क्योंकि एकता स्त्रियाँ स्वयं राष्ट्र की आधी से कम जनसंख्या है तथा दूसरा बच्चे, युवा प्रौढ़ और वृद्धजन उन पर अपनी पारिवारिक आवश्यकताओं के लिए निर्भर रहते हैं। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिला द्वारा शक्ति और संसाधनों की प्राप्ति से है जिससे कि वे अपने विषय में महत्वूपर्ण निर्णय स्वयं ले सके एवं दूसरों के द्वारा लिए गलत निर्णयों का विरोध कर सकेशिक्षा महिला क्तिकरके लिए प्रथम और मूलभूसाधन है। प्रस्तुत लेख में महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की क्या भूमिका है था महिला शिक्षा के मार्ग में जो बाधाएँ है उनको दर्शाने का प्रयत्न किया गया है।

मूलशब्द - सशक्तिकरण, सहसंबंध, प्रजातांत्रिक, मूलमूत, समाज, शिक्षित, संसाधन। 

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Published

2022-06-28

How to Cite

कुमारी स. . (2022). महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिकाः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन . JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 5(1). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/135

Issue

Section

Research Articles