अनुसूचित जाति की महिलाओं में राजनीतिक सहभागिता एवं मानवाधिकार का समाजशास्त्रीय अध्ययन
Abstract
मानव को मानव बने रहने के लिए कुछ अधिकारों की आवश्यकता होती है। इन्हीं अधिकारों को सामान्यता मानव अधिकार के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक समाज, राज्य और समुदाय का यह कर्तव्य बन जाता है कि उस समाज और राज्य में रहने वाले प्रत्येक नर एवं नारी को बिना भेदीभाव पैदा किये उन्हें ये अधिकार उपलब्ध कराये जाये। भारतीय समाज में समानता के अधिकार के अन्तर्गत उपलब्ध कराये जाये। भारतीय समाज में समानता के अधिकार के अन्तर्गत हरिजन महिला को समाज में सभी अधिकार, सुविधायें तथा आरक्षण प्रदान किया गया है परन्तु इस सबके बावजूद सामान्य हरिजन महिला की सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। अभी भी हरिजन महिला वास्तविक स्थिति से बहुत दूर है। इसी पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए हमने इसी वर्ग की महिला को अपने अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बनाया गया है। हरिजन वर्ग की महिलाओं के पिछड़ेपन पर जब हम दृष्टि डालते हैं तो यह समस्या उभर कर सामने आती है कि क्या हरिजन समाज में अभी भी उनको उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। हरिजन महिलाओं के उत्थान हेत कछ प्राथमिकताओं, नीतियों अथवा जागरूकता की आवश्यकता है।
मुख्य शब्द:- मानव, समाज, समुदाय, समानता, आरक्षण, आर्थिक, हरिजन, राजनीतिक।