अनुसूचित जाति की महिलाओं में राजनीतिक सहभागिता एवं मानवाधिकार का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • साधना कुमारी स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग ल0 ना0 मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा

Abstract

मानव को मानव बने रहने के लिए कुछ अधिकारों की आवश्यकता होती है। इन्हीं अधिकारों को सामान्यता मानव अधिकाके नाम से जाना जाता है। प्रत्येक समाज, राज्य औसमुदाय का ह कर्तव्य बन जाता है कि उस समाज और राज्य में रहने वाले प्रत्येक नर एवं नारी को बिना भेदीभाव पैदा किये उन्हें ये अधिकार उपलब्ध कराये जायेभातीय समाज में समानता के अधिकार के अन्तर्गत उपलब्ध कराये जाये। भारतीय समाज में समानता के अधिकार के अन्तर्गत हरिजन महिला को माज में भी अधिकार, सुविधायें था आरक्षण प्रदान किया गया है परन्तु इस सबके बावजूद सामान्य हरिजन महिला की सामाजिक आर्थिक राजनैतिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। अभी भी हरिजन महिला वास्तविक स्थिति से बहुत दूर है। सी पिड़ेपन को ध्यान में रखते हुए हमने इसी वर्ग की महिला को अपने अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बनाया गया है। हरिजन वर्ग की महिलाओं के पिछड़ेपन पर जब हम दृष्टि डालते हैं तो यह समस्या उभर कर सामने आती है कि क्या हरिन समाज में अभी भी उनको उनके अधिकारों से वंचिकिया जाता है। हरिजमहिलाओं के उत्थान हेत कछ प्राथमिकताओं, नीतियों अथवा जागरूकता की आवश्यकता है।

मुख्य शब्द:- मानव, समाज, समुदाय, मानता, आरक्षण, आर्थिक, हरिजन, राजनीतिक। 

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Published

2022-06-28

How to Cite

कुमारी स. . (2022). अनुसूचित जाति की महिलाओं में राजनीतिक सहभागिता एवं मानवाधिकार का समाजशास्त्रीय अध्ययन . JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 5(2). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/144

Issue

Section

Research Articles