उच्च शिक्षा में महिलाओं की शिक्षा में सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण

Authors

  • डा भारत सिंह एम.ए. , नेट , पी-एच.डी. (राजनीति विज्ञान) ग्राम - हैदलपुर, पोस्ट - परौर जनपद - शाहजहाँपुर

Abstract

संस्कृत में यह उक्ति प्रसिद्ध है- 'नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ति मातृ समोगुरुः' इसका मतलब यह है कि इस दुनिया में विद्या के समान क्षेत्र नहीं है और माता के समान गुरु नहीं है।' यह बात पूरी तरह सच है। बालक के विकास पर प्रथम और सबसे अधिक प्रभाव उसकी माता का ही पड़ता है। माता ही अपने बच्चे को पाठ पढ़ाती है। बालक का यह प्रारंभिक ज्ञान पत्थर पर बनी अमिट लकीर के समान जीवन का स्थायी आधार बन जाता है। शिक्षा वयस्क जीवन के प्रति स्त्रियों के विकास के लिए एक आधार के रूप में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा अन्य अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए लड़कियों और महिलाओं को सक्षम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बहुत सी समस्याओं को पुरुषों से नहीं कह सकने के कारण महिलाएं कठिनाई का सामना करती रहती हैं। अगर महिलाएँ शिक्षित हों तो वे अपने घरों की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं।

Keywards: महिला शिक्षा, आर्थिक समस्या, सामाजिक समस्या

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Published

2022-06-27

How to Cite

सिंह ड. भ. (2022). उच्च शिक्षा में महिलाओं की शिक्षा में सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण . JOURNAL OF BUSINESS MANAGEMENT & QUALITY ASSURANCE, 3(2). Retrieved from http://journal.swaranjalipublication.co.in/index.php/JBMQA/article/view/73

Issue

Section

Research Articles