महिला सशक्तिकरण में पंचायती राज की भूमिका
Abstract
भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सशक्त होने के अवसर दिये जा रहे हैं। पंचायती राज के माध्यम से आज ग्रामीण और शहरी अंचल की महिलाएं सशक्त होती जा रही हैं। किन्तु उनकी राजनीतिक स्थिति संतोषजनक नहीं है। किसी भी समाज की श्रेष्ठता या हीनता का निर्णय उस समाज की महिलाओं की स्थिति से होता है। यहाँ महिलाओं की स्थिति से तात्पर्य समाज में महिलाओं का स्थान] उनकी प्रतिष्ठा, उनके सम्मान] उनके गौरव तथा उस समाज में पुरूषों की तुलना में उनकी दशा से है। वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, परन्तु यह सुधार बहुधा शहरी क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति में आया है, ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में अधिक सुधार दृष्टिगोचर नहीं हुआ है। वर्तमान में आवश्यकता इस बात की है कि महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक] राजनैतिक विकास में आने वाली बाधाओं व अवरोधकों को दूर कर उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके व विकास की प्रक्रिया में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो और उनकी सक्रिय भागीदारी को सम्मान मिल सके।
मुख्य शब्द - महिला प्रतिनिधि, प्रशासनिक कार्यकुशलता, सशक्तिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी, ई-पंचायत, महिला आरक्षण, विकासखण्ड, आर्थिक समस्या, सामाजिक दबाव, सजनीतिक पृष्ठभूमि, नियोजन-व्यवस्था।